Paitrik Jamin Ka Batwara : दादा परदादा की संपत्ति को पैतृक संपत्ति या पूर्वजों की संपत्ति कहते हैं। किसी भी परिवार में दो-तीन पीढ़ी से लगातार हस्तांतरित होने वाली संपत्ति जैसे – घर, खेत, दुकान आदि। को पैतृक संपत्ति कहते हैं। ज्यादातर जमीन जो दादा के बाद पिता को मिलती है, पिता के बाद पुत्र को मिलती है, पुत्र के बाद पोते को मिलेगी तो वह जमीन पैतृक संपत्ति या पुश्तैनी संपत्ति कहलायेंगी। आज के आर्टिकल में मैं आपको बताने वाला हूं कि परिवार में बिना किसी झगड़े के पुश्तैनी जमीन या पैतृक संपत्ति का बंटवारा कैसे करें?
अक्सर देखने को मिलता है कि परिवार में पैतृक संपत्ति के बटवारे में बहुत ही झंझट होता हैं। क्योंकि पैतृक जमीन को लेकर परिवार का अपना अलग-अलग विचार होता है। परिवार के कुछ सदस्य पुश्तैनी संपत्ति बंटवारे में खुद की मनमानी और अपनी इच्छा अनुसार जमीन का बंटवारा करते हैं। जिसके कारण किसी को कम जमीन किसी को ज्यादा जमीन मिलती है। यही वजह है आज के समय में परिवार में जमीन जायदाद के बंटवारे में काफी झगड़ा होता है।
आज के समय में ज्यादातर परिवार में पैतृक संपत्ति का बंटवारा का मामला पुलिस स्टेशन चला जाता है। अगर नहीं गया तो बटवारा किसी प्रकार हो जाता है लेकिन परिवार में झगड़ा होना तथा आपसी बोलचाल बंद हो जाता है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें की संपत्ति से ज्यादा परिवार की जरूरत होती है। अगर आपके परिवार मूवी पैसे की संपत्ति का बंटवारा हो रहा है, तो इस आर्टिकल में बताए गए नियम से परिवार में भाईचारा बनाये रखने के साथ साथ पुश्तैनी जमीन का बंटवारा कर सकते हैं।
Paitrik Jamin Ka Batwara Kaise Kare.
आज नहीं तो कल हर परिवार में पैतृक संपत्ति अथवा जमीन का बंटवारा होना तय है। इसलिए पुश्तैनी जमीन का बंटवारा करने से पहले नीचे दिए 4 तरीके को समझ लें। कि आप कैसे बटवारा कर सकते हैं।
मैखिक बंटवारा
पहले हमारे दादा परदादा लोग मैखिक बंटवारा करते थें, यानि हमारे पूर्वज केवल बोल कर जमीन का बंटवारा कर देते थे जैसे – यहां की जमीन छोटा ले लें, वहां का जमीन बड़ा ले लें आदि। परिवार के लोग बात मान जाते थे। लेकिन आज के समय में मैखिक बंटवारा का कोई महत्व नहीं है, क्योंकि लोग अपनी बातों से बहुत जल्द मुकर जाते हैं। मैखिक बंटवारा में कोई कागजी सूबुत न होने के कारण आज यह फिर से झगड़े की वजह बन गया है।
सहमति बटवारा
इसमें परिवार के सभी सदस्यों के विचार को समझकर उनकी इच्छा अनुरूप सहमति से पैतृक संपत्ति का बंटवारा किया जाता है। सहमति बटवारा में परिवार के सदस्यों के बीच कोई झगड़ा नहीं होता, बल्कि एक दूसरे के विचारों को समझते हुए सहमति से बंटवारा हो जाता है।
जहां पर मैखिक बंटवारा के अंतर्गत परिवार का बुजुर्ग व्यक्ति अपने इच्छा अनुसार जमीन का बंटवारा करता है। वहीं पर सहमति बंटवारे में परिवार में सभी सदस्यों की अनुमति होती है।
पारिवारिक समझौता पत्र
सहमति बंटवारे के जैसा ही पारिवारिक समझौता पत्र का बंटवारा होता है। बस इसमें यही अंतर है कि ग्राम पंचायत या ग्राम प्रधान या सरपंच के समक्ष परिवार के सदस्यों के बीच सहमति बटवारा होता हैं। इसके बाद समझौता पत्र या स्टाम्प पेपर पर सभी साक्षीदारों के हस्ताक्षर और पारिवार वारिसों का हस्ताक्षर होता है। समझौता पत्र इस बात का सूबुत होता हैं कि किस प्रकार से बटवारा किया गया है।
पार्टीशन सूट
जब पैतृक संपत्ति में केवल आप बटवारा चाहते हैं, जबकि परिवार के अन्य सदस्य बटवारा नहीं चाहते हैं। या आपका जमीन हिस्सा विवाद में चल रहा है। तब पार्टीशन सूट के तहत बटवारा किया जाता है। इसके लिए आप न्यायालय में पार्टीशन सूट दाखिल कर सकते हैं। सभी दस्तावेजों को देखने के बाद कोर्ट द्वारा बाकि वारिसों को नोटिस भेजा जाता है।
फिर तय तारीख को सभी लोग कोर्ट में उपस्थित होते हैं। उनकी राय ली जाती हैं, तत्पश्चात कोर्ट द्वारा पैतृक सम्पत्ति का बंटवारा का फैसला सुनाया जाता है। जिसके आधार पर पुश्तैनी जमीन का बंटवारा हो जाता है।
4 भाईयों में जमीन का बंटवारा
परिवार में 4 भाईयों के बीच पुश्तैनी जमीन का बंटवारा तीन प्रकार से कर सकते हैं। अगर आप इन तीन नियम से संपत्ति का बंटवारा करते हैं, तो बिना झगड़े किए बटवारा कर सकते हैं। आगे हम उन तीन तरीकों के बारे में बताने वाले हैं। आप को जो तरीका सही लगे उस हिसाब से पैतृक सम्पत्ति का बंटवारा कर सकते हैं।
- सहमति बटवारा
- पंचायत बटवारा
- रजिस्ट्री बटवारा
सहमति बटवारा
परिवार में चार भाईयों के बीच आपसी सहमति से पैतृक जमीन का बंटवारा हो सकता है। इसमें चारों भाई एक साथ बैठकर विचार विमर्श करके जमीन बांट लेते हैं। सहमति बंटवारे में विवाद होने की संभावना कम होती है।
पंचायत बंटवारा
जब परिवार में 4 भाइयों के बीच सहमति बटवारा नहीं हो पाता है। कोई एक दूसरे के विचारों से सहमति नहीं होते हैं तब वहां पर पंचायती बंटवारा करवाना चाहिए। पंचायत बटवारा में गांव के मुखिया तथा अन्य वरिष्ठ व्यक्तियों के बीच भाईयों को आमने-सामने बैठाया जाता है। इसके बाद संपत्ति का बंटवारा किया जाता है, इस बंटवारे के साक्षी गांव के मुखिया और लोग होते हैं। ताकि जो बात हुई है उस बात पर चारों भाई अटल रहें।
रजिस्ट्री बटवारा
जब चारो भाई पंचायत बटवारा को भी नहीं मानते हैं, तब वहां पर रजिस्ट्री बटवारा होता हैं। इसमें कोर्ट के समक्ष भाइयों के बीच पैतृक संपत्ति को बराबर बराबर बांट दिया जाता है। इसके बाद उनके नाम पर उनके हिस्से की जमीन रजिस्ट्री कर दी जाती है। एक बार रजिस्ट्री बटवारा हो जाने पर हमेशा के लिए झगड़ा खत्म हो जाता है।
नोट : आज के समय में सहमति बटवारा उचित नहीं है, क्योंकि एक भाई बिना दूसरे को दिए सबकुछ पाना चाहता है। इसके अलावा आज के समय में पंचायत बटवारा भी सही नहीं है, इसमें भी लोग मुंह देखीं बात करते हैं। हां रजिस्ट्री बटवारा सबसे सही है, जो कोर्ट के सामने होता हैं। बटवारा होने के बाद तुरंत व्यक्ति के नाम पर रजिस्ट्री हो जाती हैं।
इन कागजों की पड़ेगी जरूरत
उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार परिवार में संपत्ति बटवारा करते समय आपके पास नीचे दिए गए 8 कागजात होना चाहिए। जो इस प्रकार हैं —
- लगान रसीद की छायाप्रति
- भूमि से संबंधित कागजात
- वंशावली
- जमाबंदी रैयत का मृत्यु प्रमाण पत्र
- 100 रू के स्टांप पर बंटवारा शेड्यूल
- आधार कार्ड
- सभी हिस्सेदारों की सहमति
- SDM कार्यालय से जारी शपथ पत्र
FAQs
पैतृक संपत्ति में अपना हिस्सा कैसे ले?
पैतृक संपत्ति में हिस्सा पाने के लिए सबसे पहले आपसी सहमति बटवारा का सहारा ले सकते हैं। अगर बात न बनें तो पंचायत बटवारा का सहारा ले सकते हैं। अगर इससे भी बात न बनें तो सिविल कोर्ट में दावा पेश कर सकते हैं।
पैतृक संपत्ति में किसका अधिकार होता है?
पैतृक संपत्ति हमेशा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी हस्तांतरित होती रहती है। पैतृक संपत्ति पर बेटा और बेटी दोनों का अधिकार होता है।
क्या बिना बंटवारे के जमीन बेची जा सकती है?
बिना बंटवारे के जमीन नहीं बेची जा सकती हैं। हालांकि आज के समय में कुछ लोग धोखाधड़ी से बिना बंटवारे के जमीन बेच देते हैं। जब जमीन पर कब्जा करने जाओ तब झगड़ा शुरू होता हैं पता चलता है कि यह जमीन किसी और की थी। इसलिए जमीन खरीदने से पहले जमीन के बारे में पूरी जानकारी हासिल करें।
पैतृक संपत्ति पर दावा करने की समय सीमा क्या है?
चार पीढ़ियों के वंश का कोई भी पुरुष स्वत: पैतृक संपत्ति का हिस्सेदार बन जाता है। हालांकि एक पिता के बच्चों को कानूनी रूप से पुश्तैनी संपत्ति में हिस्सा मिलता है। लेकिन एक पिता खुद की बनाई गई संपत्ति में से हिस्सा देना उसके ऊपर निर्भर करता है। पुश्तैनी जमीन पर दावा करने की समय सीमा 12 वर्ष निर्धारत किया है।
जमीन का बंटवारा कौन करता है?
जमीन का बंटवारा परिवार के माध्यम से सहमति बटवारा होता हैं। इसके अलावा पंचायत बटवारा तथा रजिस्ट्री बटवारा किया जाता है।
इसे भी पढ़े