Mata Pita Ke Mirtu ke Bad Sampati Transfer Kaise Kare : जैसा कि आपको पता है बहुत से माता-पिता अपने जीते जी अपनी सम्पत्ति को बच्चों के नाम पर कर देते हैं। लेकिन बहुत से माता-पिता ऐसे भी हैं जो अपने जीते जी अपने बच्चों के नाम पर संपति नहीं कर पाते हैं। और न ही कोई वसीयत छोड़ के जाते हैं जिसके आधार पर सभी बच्चों को वसीयत के आधार पर संपत्ति का हिस्सा मिल सकें। इसलिए आज के आर्टिकल में मैं बताने वाला हूं कि माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का हस्तांतरण कैसे करें?
सबसे पहले यह समझ ले माता-पिता की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति पर उनके बच्चों का ही अधिकार होता हैं। बच्चों के होते हुए उनके सगे संबंधी जैसे – चाचा, चचेरा भाई, रिश्तेदार आदि कोई भी संपत्ति नहीं ले सकता है। हां अगर किसी दंपति के बेटा बेटी कोई नहीं है, उन्होंने मरने से पहले कोई वसीयत नहीं छोड़ी थी, तो ऐसी स्थिति में दंपती की मृत्यु के बाद उनके सगे संबंधी तथा नात रिश्तेदार संपत्ति पाने के लिए दावा कर सकते हैं। यहां तक माता-पिता की संपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया कि अवैध शादी से उत्पन्न बच्चा भी माता-पिता की संपत्ति में हकदार होगा।
कानूनी दृष्टि से भी यही सही है कि दंपति की मृत्यु के बाद उनके संपत्ति को बच्चों के नाम पर ट्रांसफर कर दिया जाए। हलाकि वैसे भी मान लीजिए अगर पति की मृत्यु होती हैं, तो उसकी संपत्ति पर उनकी पत्नी और बच्चों का अधिकार होता है। और जब पत्नी की मृत्यु होती है तो उनकी संपत्ति भी बच्चों को हस्तांतरित हो जाती है। बच्चों के नाम पर माता-पिता की संपत्ति हस्तांतरित करने का सही तरीका क्या है, पूरी जानकारी आगे बताने वाला हूं।
Mata Pita Ke Mirtu ke Bad Sampati Transfer Kaise Kare.
अगर आप भी अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति को अपने नाम पर हस्तांतरण करवाना चाहते हैं। तो आपको भारत सरकार द्वारा लागू कानून तथा विभिन्न धार्मिक समूहों द्वारा स्थापित कानून का पता होना चाहिए।
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956
- मुस्लिम पर्सनल लॉ आवेदन अधिनियम 1937
- भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925
हिंदु उत्तराधिकार अधिनियम 1956
माता-पिता की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति पर सबसे पहले उत्तराधिकार कौन होता है। भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार वर्ग १ के अंतर्गत आने वाले सदस्य का किसी भी संपत्ति पर प्राथमिक अधिकार होता है।
- विधवा पत्नी
- बच्चे (बेटा और बेटी दोनों)
- मां
- पोते पोतियां
अगर वर्ग १ के सदस्य उपलब्ध न हो, तो ऐसी स्थिति में वर्ग २ के सदस्य को संपत्ति का उत्तराधिकारी माना जायेगा। यानि उसके नाम पर संपति कर दिया जाएगा। वर्ग २ में शामिल सदस्य इस प्रकार है-
- बेटी की बेटी का बेटा
- बेटी का बेटा
- बेटे के बेटे की बेटी
- बेटे की बेटी
- पूर्व मृत बेटे की विधवा
- पिता की मां
- बहन
- भाई
- पिता
मुस्लिम पर्सनल लॉ आवेदन अधिनियम 1937
माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति के बंटवारे को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ आवेदन अधिनियम 1937 का अपना अलग नियम है। यह नियम ज्यादातर मुस्लिम भाईयों पर लागू होती हैं। जो इस प्रकार है –
मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार माता-पिता के मृत्यु के बाद होने वाला उत्तराधिकार विशिष्ट दिशानिर्देश का पालन करता है। प्राथमिक उत्तराधिकार के अंतर्गत पति-पत्नी, माता-पिता और बच्चों को शामिल किया गया है। यानि दंपति की मृत्यु के बाद बेटे को बेटी की तुलना में ज्यादा हिस्सा मिलेगा।
इस आधार पर संपत्ति का बंटवारा होता है इसके बाद बची हुई संपति आमतौर पर पुरुष रिश्तेदार को दिया जाता है। यानि एक मुस्लिम व्यक्ति अपनी कुल संपत्ति का केवल 1/3 हिस्सा वसीयत कर सकता है। जबकि शेष 2/3 हिस्सा को मुस्लिम पर्सनल लॉ आवेदन अधिनियम 1937 के तहत बांटा जायेगा।
भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925
भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 के अंतर्गत संपत्ति दो प्रकार से वितरित किया जाता है। १. वसीयत के आधार पर २.हिंदु उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के आधार पर
वसीयत के आधार पर – अगर व्यक्ति ने मरने से पहले वसीयत लिखकर गया है तो उसी वसीयत के आधार पर उसकी संपत्ति को बाटा जायेगा।
हिंदु उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के आधार पर – अगर व्यक्ति बिना वसीयत किए मर जाता है, तो हिंदु उत्तराधिकार के अंतर्गत सबसे पहले वर्ग १ के सदस्य को संपत्ति दी जायेगी। अगर वर्ग १ के सदस्य न हो, तो वर्ग २ के सदस्य को संपत्ति का हिस्सा दिया जाएगा। वर्ग १ और २ के अंतर्गत परिवार के किन सदस्यों को शामिल किया गया है, इसकी जानकारी ऊपर दिया गया है।
मृत्यु के बाद संपत्ति का हस्तांतरण हेतु दस्तावेज
माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का हस्तांतरण करने के लिए नीचे दिए निम्न दस्तावेज होना चाहिए, इसके बाद बताए गए स्टेप को फालो करें-
उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करें?
कानूनी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आवेदक को जिला न्यायालय या तहसील कार्यालय में आवेदन करना होगा। आवेदन करते समय आवेदन फार्म के साथ मृत्यु प्रमाण पत्र तथा पहचान प्रमाण पत्र की फोटो कॉपी जरूर लगाएं। अधिकारी के सत्यापन के बाद कानूनी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है।
मृत्यु के बाद संपत्ति को उत्तराधिकारी को हस्तानांतरित करने के लिए कानूनी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र की जरूरत होती है। इसके लिए उत्तराधिकारी सबसे पहले सिविल न्यायालय में याचिका दायर करता है। याचिका में मृतक व्यक्ति की जानकारी, उत्तराधिकारी की जानकारी, पैतृक संपत्ति का विवरण शामिल होता हैं।
इसके बाद न्यायालय द्वारा स्थानीय समाचार पत्र में यह नोटिस दिया जाएगा, प्रमाण पत्र जारी करने पर किसी को आपत्ति है। यदि निश्चित समय के भीतर किसी व्यक्ति द्वारा आपत्ति नहीं किया गया, तो आवेदक को न्यायलय में उत्तराधिकारी साबित करने के लिए और भी सुबुत पेश करना होगा। सबूत को जांचने के बाद अगर न्यायालय संतुष्ट हो जाती हैं तब उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है।
विभाजन विलेख का निष्पादन
जब किसी संपत्ति को एक से अधिक उत्तराधिकारियों के बीच विभाजित करना पड़ता है, तब विभाजन अभिलेख का निष्पादन की आवश्यकता पड़ती है। इस अभिलेख में कुल उत्तराधिकारी के हिस्से में बराबर बराबर संपत्ति का रूपरेखा तैयार किया जाता है। इसके अलावा भविष्य में दोबारा हिस्से को लेकर झगड़ा ना हो, इसके लिए कानूनी अधिनियम का पालन तथा अभिलेख पर हस्ताक्षर होता हैं।
इसके बाद स्थानीय उप पंजीयक कार्यालय में विभाजन विलेख प्रस्तुत करना पड़ता है। विलेख पंजीकरण करने हेतु संपत्ति के मूल्य के आधार पर स्टाम्प शुल्क और पंजीयन शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। विलेख पंजीकृत हो जाने के बाद इसे कानूनी वैधता मिल जाती हैं।
संपत्ति अभिलेखों का उत्परिवर्तन
एक बार जब माता-पिता की संपत्ति आपके नाम पर हस्तांतरण हो जाए, तो म्यूटेशन करवाना बहुत जरूरी है। इसके लिए उत्तराधिकारी स्थानीय नगर पालिका अथवा भूमि राजस्व कार्यालय में म्यूटेशन के लिए आवेदन कर सकता है।
आवेदन करते समय उसके साथ मृत्यु प्रमाण पत्र, कानूनी उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र, विभाजन विलेख की फोटो कॉपी संलग्न कर देना है। जमा किए गए दस्तावेजों की जांच होने के बाद उसे म्यूटेशन के लिए मंजूरी दे दी जाती है। म्यूटेशन हो जाने के बाद संपति रिकार्ड में नये मालिक का नाम दिखने लगता है। म्यूटेशन कराना बहुत जरूरी होता है, जिससे यह साबित होता हैं कि संपति नये उत्तराधिकारी के नाम हस्तांतरित हो गयी है।
FAQs
पिता और माता की मृत्यु के बाद संपत्ति का मालिक कौन है?
माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का मालिक बच्चों को माना जाएगा। यानि बेटा और बेटी दोनों का समान अधिकार होगा।
पिता की मृत्यु के बाद क्या मां अपनी संपत्ति बेच सकती हैं?
जी नहीं, पिता की मृत्यु के बाद सबसे पहले कानूनी तौर पर सही उत्तराधिकारी के बीच संपति बांटी जाएगी। तत्पश्चात मां के हिस्से में मिली संपत्ति को वह बेच सकती हैं।
क्या माता-पिता एक बच्चे को सारी संपत्ति दे सकते हैं?
जी हां, पिता के द्वारा खुद के दम पर अर्जित की संपत्ति वह किसी भी बेटे को दे सकता है। लेकिन अगर वसीयत लिखने से पहले उसकी मौत हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में पिता की संपत्ति सभी बच्चों में बराबर बराबर बांटा जाएगा.
मां की संपत्ति का कानूनी वारिस कौन है?
मां की संपत्ति का कानूनी वारिस उसके बच्चे यानि बेटा और बेटी, इसके अलावा पति ( अगर जीवित है), इनके न रहने पर परिवार के अन्य सदस्य और रिश्तेदार दावा कर सकते हैं।
क्या मां अपनी सारी संपत्ति एक बच्चे को दे सकती हैं?
जी हां, मां अपने जीवन काल में खुद द्वारा अर्जित की गई संपत्ति किसी एक बेटे को दे सकती है। इसके अलावा अपने नाम पर पंजीकृत संपत्ति को किसी एक बेटे को दे सकती है।
बेटी कब मां की संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती हैं?
अपनी मां के जीते जी बेटी मां की संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती हैं। हां मां की मृत्यु के बाद उनकी स्व अर्जित संपत्ति पर बेटी कानूनन दावा कर सकती हैं।
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